


खाने में तेल का उपयोग हमारी सेहत पर सीधे प्रभाव डालता है। विशेषज्ञों का कहना है कि तेल का सेवन सोच-समझकर और संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए। खासकर भारतीय भोजन में जहां रोज दाल और सब्जी बनती हैं, वहां सब्जी बनाने में इस्तेमाल होने वाले तेल का चुनाव स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होता है। योग गुरु और आयुर्वेद विशेषज्ञ स्वामी रामदेव ने भी यह सुझाव दिया है कि लगातार एक ही प्रकार का तेल इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। विभिन्न प्रकार के तेलों को बदल-बदल कर उपयोग करने से शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व आसानी से मिलते हैं।
सब्जी बनाने के लिए अच्छा तेल
विशेषज्ञों के अनुसार, सब्जी बनाने के लिए कच्ची घानी का तेल सबसे अच्छा माना जाता है। इसमें विशेष रूप से सरसों का तेल लोकप्रिय है, जो रोजाना की सब्जी बनाने में सुरक्षित और पौष्टिक विकल्प है। पीली और काली दोनों प्रकार के सरसों के तेल का उपयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त मूंगफली का तेल भी एक अच्छा विकल्प है। सर्दियों केमौसम में तिल का तेल सीमित मात्रा में इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही, नारियल का तेल भी सब्जी बनाने के लिए उपयोगी है, खासकर जब उच्च तापमान पर खाना पकाना हो।
सरसों के तेल के स्वास्थ्य लाभ
सरसों के तेल में मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है, जो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करता है। इसलिए यह हृदय रोग से बचाव में सहायक माना जाता है। सरसों के तेल का स्मोक प्वाइंट भी उच्च होता है, जिससे यह हाई फ्लेम पर पकाने के लिए उपयुक्त है। इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। इसके अलावा, सरसों के तेल में बनी सब्जी का स्वाद भी अलग और अच्छा होता है। यह डीप फ्राई के लिए भी उपयुक्त है। इसके साथ ही, सरसों के तेल का उपयोग बालों में लगाने और मालिश के लिए भी किया जाता है।